hindisamay head


अ+ अ-

कविता

व्यापारी

गुलाब सिंह


दलित मलिन बस्ती को
फूल से सजाओ
राजा की आ रही सवारी।

नहर की नई बंधी
खोलेंगे
बस्ती वाले
मुखड़ा धो लेंगे
जाएँगे राज महल
सपने ले
लौटेंगे लेकर त्योहारी।

अब की दीवाली
जगमग होगी
पारो से कतवारो
पूछेंगे क्या लोगी
अमरीका से उड़कर
तेल, नून, हल्दी के
आएँगे अच्छे व्यापारी।

आँखों का सुरमा
और दाँतो की मिस्सी
पूस माघ की काफी
फागुन की लस्सी
मौसम का ध्यान धरे
सुख के साधन सगरे
पैकेट में उगी हुई
ताजा तरकारी।
 


End Text   End Text    End Text