hindisamay head


अ+ अ-

कविता

जल की कहानी

गुलाब सिंह


धार के काबिल नहीं
हम बँधे पानी
जन्म से लेकिन
जिए जल की कहानी।

बदन पर छलके कभी
निकले नयन से
ताप बादल ने सहे
अनुताप मन ने
हम लिए संवेदना
सूखे नहीं, रक्त है तो
कभी आएगी रवानी।

कभी होगी धार
तो पतवार होगी हाथ तेरे
जल से रिश्ते जिंदगी के
सर्वदा से हैं घनेरे
हमें है चिंता तेरी
तुम भी रखो पानी का पानी।

वक्त की चट्टान निर्मय
मैं भी तोड़ूँ तुम भी तोड़ो
मैं बनूँ झरना तो तुम भी
दिलों को दरिया से जोड़ो
सतह धरती की हरी हो
हों उड़ानें आसमानी।
 


End Text   End Text    End Text