नीली स्याही में
भीगे हुए हैं
कितने रंग के दुख
कितनी उदासी-टूटन-हताशा,
पीड़ा और प्रेम
नीली स्याही में है
गुंजायमान
(जिसका कि सिर्फ नीला रंग नहीं है)
पंक्तित इस नीलाभ में
शामिल है
कितने तरह की चीजों की आवाज
और चुप्पी
आखिर -
नीला ही कितना बचा होगा
नीली स्याही में
जब उड़-सिकुड़ रही हो रंगत
जीवन से लगातार।