तेरे फूलने से कुछ पहले ही तो तो आया था बसंत और तूने इतनी जल्दी क्यों बिखेर दीं अपनी पत्तियाँ जो वो बिखर गया तेरी हिम्मत को टूटते देख तेरी उम्र इतनी छोटी क्यों है रे सखी देखो ना वह लौट आया है तुम्हारी खोज में लोक कथाओं को झुठलाकर...
हिंदी समय में अंकिता रासुरी की रचनाएँ