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कविता

रिक्शावाला

असलम हसन


तीन पहियों से बिठाकर साम्य
गति से
भागता है आगे
फिर भी पीछे बैठे हुए आदमी से
बहुत पीछे
छूट जाता है रिक्शावाला


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हिंदी समय में असलम हसन की रचनाएँ