बच्चे बड़े हो गए और बौना हो गया है पिता घर का एक बेकार कोना बिछौना हो गया है पिता अपने पाँव पर खड़े हो गए खेलते बच्चे और खिलौना हो गया है पिता...
हिंदी समय में असलम हसन की रचनाएँ