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कविता

देखो दुनिया भाग रही है

असलम हसन


रात जो अब तक जाग रही है
मेरे आने का एहसास ही
उसे नींद से भर देगा...
तमाम करवटों की सिलवटों में
थकन कहीं खो जाएगी
और
मेरे पहलू में सोई हुई रात
सुबह होने के
अंदेशे से फिर जग जाएगी
मुझे भी जगाएगी दिखाएगी दुनिया
देखो दुनिया कैसे जाग रही है
देखो दुनिया कैसे भाग रही है


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