कविता
देर तक प्रेमशंकर शुक्ल
फूलों की भाषा में उसकी आँखों ने बात की मुझसे पत्तियों की सिहरन-भरा देखता रहा देर तक उसे
हिंदी समय में प्रेमशंकर शुक्ल की रचनाएँ