लंबी हो सकती थी इनकी आयु उल्लेखनीय हो सकती थीं इनकी उपलब्धियाँ इबारतों में हो सकती थी इनकी महत्वपूर्ण जगह होता यदि मुकम्मल इंतजाम दो जून की रोटी का।
हिंदी समय में प्रेमशंकर शुक्ल की रचनाएँ