दुआर के इस कोने पर एक बच्ची ने अभी-अभी बनाया है अपना घर बच्ची का घर बच्ची जितना सुंदर और है अस्त-व्यस्त भरे है वह अपने भीतर बच्ची जितना बचपन मगनमन बच्चियाँ जिसमें बना रही हैं माटी के छप्पन व्यंजन!
हिंदी समय में प्रेमशंकर शुक्ल की रचनाएँ