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कविता

छोटू के पाँव

प्रेमशंकर शुक्ल


अभी-अभी लिपी
देहरी के लिलार पर
उपटे हैं
छोटू के पाँव

इन पाँव में
महक है
मंजिल की
दिशाओं को जगाने की
उत्कंठा भी खूब
इनमें।
 


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