चाचू, मुझको टिफिन मँगा दो बैग और कपड़ा सिलवा दो। मास्टर जी से नहीं डरेंगे उनसे हम सब खूब पढ़ेंगे। दीदी के संग हम भी, अब तो रोज सवेरे जाएँगे। पापा जी की प्यारी बिटिया हम भी अब बन जाएँगे। खूब लिखेंगे, खूब पढ़ेंगे कभी किसी से नहीं डरेंगे।
हिंदी समय में मनोज कुमार गुप्ता की रचनाएँ