दरवाजे फिर से गदराई ऋतुगंधा। चितवनिया सुमिरन में बीत गई छलकन में गागरिया रीत गई खाती हिचकोले सरगम की सारंधा। विजनवती थालियाँ परोस रही किरन-फूल जूड़े में खोंस रही पाकर वरमाल झुका गेहूँ का कंधा।