मैंने उनके खिलाफ कुछ कहा तो उन्होंने मुझ पर पाबंदी लगाई मैंने इस पाबंदी के खिलाफ कुछ कहा तो उन्होंने फिर मुझ पर पाबंदी लगाई इस सिलसिले में इस कदर दोहराव रहा कि अब मैं उनके खिलाफ कुछ नहीं कहता यह छोड़कर कि उन्होंने मुझ पर पाबंदी लगाई
हिंदी समय में अविनाश मिश्र की रचनाएँ