hindisamay head


अ+ अ-

कविता

नदियाँ

अविनाश मिश्र


मैं उन्हें बिलकुल भी नहीं जानता
लेकिन वे मुझे बार-बार मिलती हैं
इस सृष्टि की व्यस्त, अव्यस्त और अस्त-व्यस्त जगहों पर रोती हुईं

मैं उनके विलाप की वजह बिल्कुल भी नहीं जानता
लेकिन यह जानता हूँ कि
उत्पीड़ितों के प्रति भी करुणा से भरी हुईं
वे इस सृष्टि में सबसे सुंदर हैं
उनमें आँसू बचे हुए हैं
 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में अविनाश मिश्र की रचनाएँ