करुणा बहुत बड़ा शब्द है
लेकिन मात्रा उसके ‘र’ में
छोटे ‘उ’ की ही लगती है
रूढ़ि बहुत घटिया शब्द है
लेकिन मात्रा उसके ‘र’ में
बड़े ‘ऊ’ की लगती है
जो जागरूक नहीं होते
वे जागरूक के ‘र’ में
छोटा ‘उ’ लगा देते हैं
लेकिन जागरूक होना बेहद जरूरी है
और इसकी शुरुआत होती है
जागरूक के ‘र’ में बड़ा ‘ऊ’ लगाने से
और अगर एक बार यह जरूरी शुरुआत हो गई
तब फिर शुरुआत के ‘र’ में
कोई बड़ा ‘ऊ’ नहीं लगाता
और न ही जरूरी के ‘र’ में छोटा ‘उ’