हम चलें, हम संग चलें, जीवन अपना साथ चलें।
ले हाथों में हाथ, अपना जीवन मन का बाँच चलें।
इक नैया इक पतवार, संग जीवन की धार चलें।
ये शब्दों की माला है, वो सुर सरिता की धार बनें।
दो कदम बढ़ें, फिर राह कटी यूँ पग पग मोती टाँक चलें।
वो गगन पे उड़ता पंछी, ये पंछी के पंख बनें।
वो कुमकुम की रोली, तो चंदन की काठी, जंग के हम तुम बाँट चलें,
जनम-जनम से आस अधूरी, ये युगों-युगों तक साथ चलें।