रंगों को बौछार है,
बगिया भी गुलजार है
सुनो चमन के रखवालो,
अपना ये इजहार है।
धरा एक है, गगन एक है,
सबको छुए पवन एक है,
हरी-हरी है वसुंधरा,
नीला-नीला अंबर है,
फिर क्यूँ पग-पग धल में दिखते,
सबके रंग अनेक हैं।
भर पिचकारी प्यार रंग से,
तन-मन पे पुरधार है,
जग-आँगन में सात रंगों से,
सत् जीवन का घोल के,
ईमान रंग के संग हो मनवा,
सच का आनंद खोल के।
हर पल दिल से यही पुकारें,
छल-बल-खल इनकार है,
मुस्कानों का तिलक लगाएँ,
चेहरा हर दरकार है,
इंद्रधनुष की आभा में,
हर जीवन उजयार हैं।