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कविता

वही बात
प्रतिभा कटियार


उनके पास थीं बंदूकें
उन्हें बस कंधों की तलाश थी,
उन्हें बस सीने चाहिए थे
उनके हाथों में तलवारें थीं,
उनके पास चक्रव्यूह थे बहुत सारे
वे तलाश रहे थे मासूम अभिमन्यु
उनके पास थे क्रूर ठहाके
और वीभत्स हँसी
वे तलाश रहे थे द्रौपदी
उन्होंने हमें ही चुना
हमें मारने के लिए
हमारे सीने पर
हमसे ही चलवाई तलवार
हमें ही खड़ा किया खुद
हमारे ही विरुद्ध
और उनकी विजय हुई हम पर
उन्होंने बस इतना कहा
औरतें ही होती हैं
औरतों की दुश्मन, हमेशा...
 


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हिंदी समय में प्रतिभा कटियार की रचनाएँ