ईजा की हँसी जो बह गई
घर सुनते ही गिरने लगती हैं दीवारें
ढहने लगती हैं छतें
आने लगती हैं आवाजें खिड़कियों के जोर से गिरने की
उतरने लगती हैं कानों में माँ की सिसकियाँ
पिता की आवाजें कि बाहर चलो, जल्दी...
घर सुनते ही पानी का वेग नजर आता है
उसमें डूबता हमारा घर, रसोई, बर्तन, बस्ते, खिलौने सब कुछ
घर सुनते ही याद आती है गाय जो बह गई पानी में
वो अनाज जिसके लिए अब हर रोज भटकते हैं
लगते हैं लंबी लाइनों में
वो बिस्तर जिसमें दुबककर
गुनगुनी नींद में डूबकर देखते थे न जाने कितने सपने
घर सुनते ही याद आती है
ईजा की हँसी जो बह गई पानी के संग
घर सुनते ही याद आती हैं तमाम चीखो-पुकार
तमाम मदद के वायदे
घोषित मुआवजे
मदद के नाम पर सीना चौड़ा करके घूमने वालों की
इश्तिहार सी छपी तस्वीरें,
घर सुनते ही सब कुछ नजर आता है
सिवाय एक छत और चार दीवारों के...