मैंने कहा राग तुमने कहा रंग मैंने कहा धरती तुमने कहा आकाश मैंने कहा नदी तुमने कहा समंदर मैंने कहा 'प्रेम' तुमने कहा 'मैं' इसके बाद हम दोनों खामोश हो गए कि प्रेम में 'मैं' नहीं होता...
हिंदी समय में प्रतिभा कटियार की रचनाएँ