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कविता

एक दिन

मणि मोहन


देखना ! एक दिन
बस हम दोनों ही रह जाएँगे
इस घोंसले में

देखना ! एक दिन
मैं कहूँगा तुमसे -
अच्छा हुआ न
जो घोंसला बड़ा नहीं बनाया हमने

देखना ! एक दिन
इसी घोंसले की देहरी से
हम देखेंगे
दूर आसमान में
सितारों के तिनकों से बना
हमारे बच्चों का घोंसला

देखना ! एक दिन
अपनी नम आँखों से
मेरी तरफ देखते हुए
तुम जिद करोगी
वहाँ चलने की
और मैं कहूँगा -
उड़ सकोगी
इतने प्रकाशवर्ष दूर...
 


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