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कविता

शायद

मणि मोहन


दुख और निराशा के क्षणों में
हम बार बार लौटते हैं
इस एक छोटे से शब्द की तरफ
जिसे "शायद" कहते हैं

भाषा के आसमान का
यह एक टूटा हुआ सितारा है
सुना है
किसी टूटते हुए तारे को देखकर
मन में जो भी इच्छा करो
वह पूरी हो जाती है

यह एक छोटा सा शब्द
जो महाप्राण की कविता में
कभी नीलकमल बन जाता है
तो कभी बदल जाता है
कमल-नेत्र में

दुनिया की तमाम भाषाओं के अंधकार में
मौजूद है यह शब्द
जुगनू की तरह
बुझता - चमकता

यह एक छोटा सा शब्द
जो बारिश, हवा और बर्फबारी के बीच
ओ हेनरी की कथा में
चिपका हुआ है
आइवि की लता से
गहरे हरे रंग का पत्ता बनकर ।
 


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