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कविता

बस एक लय

मणि मोहन


वे पूछते हैं
क्या हासिल होगा
इस प्रतिरोध से... ?

मैं कहता हूँ
बस एक लय
प्रतिरोध की...
जो रूठ सी गई थी
कहीं कहीं से
टूट सी गई थी...

बस एक लय !
 


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