इस बार कुछ अलग ही था अपने पिता के घर से उसका लौटना पहली बार वह लौटी खाली हाथ सिर्फ स्मृतियों के साथ पिता की मृत्यु के साथ जैसे रातों रात बदल गया उसका भोपाल स्मृतियों की राजधानी में।
हिंदी समय में मणि मोहन की रचनाएँ