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कविता

लीला

मणि मोहन


सपनों ने आवाज दी
कि चलो
और पीछे-पीछे चल दी कविता
साथ में कुछ जुगनू
विचारों के
जलते-बुझते

धरती-आसमान
चाँद-सितारे
रात-दिन
सब तमाशबीन
कि बस
शुरू होने वाली है
एक लीला
भाषा के बीहड़ में।
 


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