सपनों ने आवाज दी कि चलो और पीछे-पीछे चल दी कविता साथ में कुछ जुगनू विचारों के जलते-बुझते धरती-आसमान चाँद-सितारे रात-दिन सब तमाशबीन कि बस शुरू होने वाली है एक लीला भाषा के बीहड़ में।
हिंदी समय में मणि मोहन की रचनाएँ