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कविता

सौदागर
मणि मोहन


उन्होंने पेड़ों से कहा
खाली करो यह धरती
हम यहाँ एक खूबसूरत
शहर बनाने जा रहे हैं

पेड़ों ने सुनी
उनकी यह धमकी
और भय से सिहर उठे
पेड़ों की छाती से चिपके
घोंसलों में दुबके
परिंदे भी सहम गए

सौदागर दरिंदे अपने साथ
कुछ दुभाषिए भी लाए थे
(जो पेड़ों और परिंदों की
भाषा जानने का दावा करते थे)

दरिंदों ने दुभाषियों से पूछा
क्या कहा पेड़ों ने ?
क्या कहते हैं परिंदे ?
दुभाषिये बोले -
हुजूर, पेड़ों ने अपनी
सहमति दे दी है ...
और परिंदे भी
उत्साहित हैं
किसी नए ठिकाने पर जाने के लिए

खूब खुश हुए दरिंदे
और दुभाषियों ने ताली बजाईं।
 


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