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कविता

एक पत्ता

ओम नागर


एक सितारा
जो टूटकर समा गया
आकाश के किसी छोर

एक लम्हा
जो चुराया था तुम्हारे लिए
उसे ले उड़ी पगली पवन

एक फूल
जिसे देना था तुम्हे अलसुबह
तोड़ ले गया कोई राहगीर

एक बात
जो कहनी थी तुम्हीं से
इन दिनों नही आ रही याद

एक पत्ता
जो उड़कर चला आए वहाँ
रख लेना नोटबुक में सँभाल के।
 


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