बच्चों को नींद में छोड़ कर हम चले आते हैं। हमारी नींद में बच्चे आते हैं सुबह हम एक-दूसरे को अलग-अलग शहरों में पाते हैं। एक-दूसरे से बातें करते हजारों मील दूर।
हिंदी समय में प्रयाग शुक्ल की रचनाएँ