इस सुदूर गाँव में टँगी हुई पत्र-पेटी एक पेड़ के तने से -
डालता हूँ तुम्हें चिट्ठी पहुँचे तो पढ़ना जरूर !
हिंदी समय में प्रयाग शुक्ल की रचनाएँ