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कविता

कोंकाबेली

प्रयाग शुक्ल


उगी है कोंकाबेली
फूली
पानी में -
फूलती थी जैसे बचपन में।

पौधे ये और
फूल ये और
सुबह ये और

पर फूली है
कोंकाबेली
फूलती थी जैसे
मेरे बचपन के
इस
गाँव में !


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