उगी है कोंकाबेली फूली पानी में - फूलती थी जैसे बचपन में।
पौधे ये और फूल ये और सुबह ये और
पर फूली है कोंकाबेली फूलती थी जैसे मेरे बचपन के इस गाँव में !
हिंदी समय में प्रयाग शुक्ल की रचनाएँ