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कविता

पेड़ की छाया

प्रयाग शुक्ल


जहाँ खिंची है पेड़ की छाया,
वहीं खिंची है
आकृति बच्चे की
एक,
स्त्री की एक

जहाँ खिंची है पेड़ की छाया

इतनी गहरी
कब से ठहरी!

मन पर छपकर
खिंची हुई है,
पेड़ की छाया

खिंची हुई है
आकृति बच्चे की
एक,
स्त्री की एक


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