काउंटर पर लड़की करती हिसाब सुनती फोन - चमकती ट्यूबलाइट में
पकड़ती है बस वह शाम को। गिनता है समय एक दिन, उसके एक-एक सफेद और काले बाल।
जन्म ले चुकी होती हैं अनेक नई चिड़ियाँ इस बीच - जिन्हें कभी-कभी देखती है वह, जब मिल जाती है खिड़की के पास वाली सीट।
हिंदी समय में प्रयाग शुक्ल की रचनाएँ