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कविता

यदि ऐसा हो तो...

भुवनेश्वर


एक प्यारी-सी लड़की अकेले प्रकाश में
उसका चेहरा ही प्यार बोलता था
मैंने उसका आलिंगन किया
मैंने उसके होंठों को चूमा
आह, कितना सुखद-सुख...
नेता, योद्धा, राजे-महाराजे
इस धरती के महान
लेकिन इस भीड़ के सबसे ऊपर
मैंने खुद ईश्वर का अभिनय किया
माँ धरती की गोद में
मैं स्वयं एक सही ईश्वर के
रूप में प्रस्तुत हुआ...
आकाश के प्याले से मैंने पिया
एक खुली हँसी से मैंने अपना प्याला भरा
लेकिन उनमें केवल सपने ही सपने थे
अनंत-अनेक


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हिंदी समय में भुवनेश्वर की रचनाएँ