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रचनावली

अज्ञेय रचनावली
खंड : 5
नदी के द्वीप

अज्ञेय

संपादन - कृष्णदत्त पालीवाल

अनुक्रम

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''मेनी ए ग्रीन आइल नीड्स मस्ट बी
    इन द डीप वाइड सी आफ़ मिज़री
    ऑर द मैरिनर , वोर्न एंड वान
    नेवर दस कुड वायेज ऑन।"*

-शेली

''दुःख सब को माँजता है
    और -
    चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वह न जाने , किन्तु-
    जिन को माँजता है
    उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें।''

-'अज्ञेय'

* कई हरे-भरे द्वीप अवश्य ही होंगे

व्यथा के गहरे और फैले सागर में

नहीं तो थका-हारा सागरिक

कभी ऐसे यात्रा करता न रह सकता।

 


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