परिचय
मूल नाम : सत्यजित रे, शॉत्तोजित रॉय
जन्म : 2 मई 1921, कोलकत्ता भाषा : हिंदी,बांग्लाविधाएँ : उपन्यास, कहानीमुख्य कृतियाँ
कहानी : सहपाठी
सम्मान
ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि, दादासाहब फाल्के पुरस्कार(1985), फ़्राँस के लेज़्यों द’ऑनु पुरस्कार (1987), भारत रत्न, मरणोपरांत सैन फ़्रैंसिस्को अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्मोत्सव में इन्हें अकिरा कुरोसावा पुरस्कार, ऑस्कर अवॉर्ड
निधन
23 अप्रैल 1992, कोलकाता
विशेष
सत्यजित राय भारत और विश्वभर के बंगाली समुदाय के लिए एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं। बंगाली सिनेमा पर राय ने अमिट छाप छोड़ी है। बहुत से बांग्ला निर्देशक इनके कार्य से प्रेरित हुए हैं — अपर्णा सेन, ऋतुपर्ण घोष, गौतम घोष, तारिक़ मसूद और तन्वीर मुकम्मल। भारतीय सिनेमा पर इनके प्रभाव को हर शैली के निर्देशक मानते हैं, जिनमें बुद्धदेव दासगुप्ता, मृणाल सेन और अदूर गोपालकृष्णन शामिल हैं। भारत के बाहर भी मार्टिन सोर्सीसी, जेम्स आइवरी, अब्बास कियारोस्तामी और एलिया काज़ान जैसे निर्देशक भी इनकी शैली से प्रभावित हुए हैं। इरा सैक्स की फिल्म फ़ॉर्टी शेड्स ऑफ़ ब्लु (Forty Sheds of Blue, चालीस तरह के नीले रंग) बहुत कुछ चारुलता पर आधारित थी। राय की कृतियों के हवाले अन्य कई फिल्मों में मिलते हैं, जैसे सेक्रेड ईविल (Sacred Evil, पावन दुष्टता), दीपा मेहता की तत्व त्रयी और ज़ाँ-लुक गॉडार की कई कृतियाँ।
1993 में यूसी सांता क्रूज़ ने राय की फिल्मों और उन पर आधारित साहित्य का संकलन करना प्रारंभ किया। 1995 में भारत सरकार ने फिल्मों से सम्बन्धित अध्ययन के लिए सत्यजित राय फिल्म एवं टेलिविजन संस्थान की स्थापना की। लंदन फिल्मोत्सव में नियमित रूप से एक ऐसे निर्देशक को सत्यजित राय पुरस्कार दिया जाता है जिसने पहली फिल्म में ही “राय की दृष्टि की कला, संवेदना और मानवता” को अपनाया हो।