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प्रेम की भूतकथा

विभूति नारायण राय

 

 भाग-7

उपन्यास का अनुक्रम भाग-1 भाग-2 भाग-3 भाग-4 भाग-5 भाग-6 भाग-7 भाग-8 भाग-9
"हर सम्बंध की अपनी भाषा होती है ।  यह भाषा हमें कहीं से मिलती नहीं है---- हम इसे स्वयं विकसित करतें हैं ।  सम्बन्ध के साथ यह खुद ब खुद विकसित होती जाती है ।  तुम्हें नहीं लगता कि पिछले तीन महीनों में हमने भी एक भाषा हासिल की है ।  शब्द कोशों से परे है यह भाषा।  इसके शब्दों के वही अर्थ नहीं हैं जो डिक्श्नरी में मिलतें हैं ।  कुछ के पास तो सिर्फ ध्वनियाँ हैं, अर्थ हैं ही नहीं ।  कल उस लम्बे चौडे छतनार हार्स चेस्ट नट के दरख्त के नीचे जब तुम पिघल रही थी तब अचानक मेरी गर्दन में नाखून गडा कर तुम क्या चीखी थी ? याद है तुम्हें ? मेरी स्मृतियों में टँक गयी है वह अस्फुट पर तेज ध्वनि ।  नीचे जमीन पर पतझड था और हमारे शरीरों में बसंत फूट रहा था ।  शायद हम साथ ही स्खलित हुये और तभी तुम्हारे मुँह से वह ध्वनि फूटी जिसने कल के संयोग को मेरे अनुभव संसार की सबसे अदभुत वस्तु बना दिया ।  मैं देख रहा हूं कि तुम हंस रही हो पर तुम्हें वही ध्वनि फिर पैदा करनी होगी------- अगली बार------बार-बार ।
हाँ --- इस बार भी मैं कोई नाम नहीं तलाश पाया ।  फिर कोशिश करूँगा ।  मुझे लगता है कि अचानक ही कोई सम्बोधन सूझेगा ।  यह भाषा के लिहाज से असाधारण नहीं होगा पर होगा हमारा नितांत अपना ।  एक ऐसा सम्बोधन जिससे सिर्फ मैं तुम्हें पुकारूँगा, जिसका इस्तेमाल न मेरे पहले किसी ने तुम्हारे लिये किया होगा, न बाद में कोई करेगा । "

ढेर सारा प्रेम----
                                                 एलन

 "तुमने एक बार कहा था कि कई बार अनुपस्थिति से हम अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं, कहीं इसी लिये तो यह खामोशी नहीं ? चार दिन ------ पूरे चार दिन हो गये तुमने कुछ नहीं लिखा ।  मिलने की तो बात ही सोचना बेकार है-------। "
                                                                                                एलन

"अगर आज भी तुम्हारा खत नहीं मिला होता तब भी मैं लिखता ही ।  तुम रूठकर मुझसे पाँच दिन दूर रह सकती हो पर मैं बिना लिखे कैसे रह सकता हूँ ? फर्क सिर्फ इतना पडा है कि आज खत लिखने का एक अतिरिक्त कारण है ।  आज मैंने तुम्हारे लिये एक नाम भी तय कर लिया है ।  बूझना तुम्हें पडेगा ।  इतना इशारा दे सकता हूँ कि पहली बार यह मेरे मुँह से तब निकला था जब पूरे चाँद की दूधिया धवल रात तुम हार्स चेस्ट नट के पेड के नीचे पहली बार पूरी तरह से निर्वस्त्र हुयी थी ।  मैंने तुम्हें दो-तीन सम्बोधनों से पुकारा था ।  एक पर तुम खिलखिला कर हँसी थी ।   याद है तुम्हें वह सम्बोधन ? याद करो मैं नहीं बताऊँगा ।  लिखना फौरन ।  अगर तुम्हें याद है तो उसी से पुकारूँगा मैं तुम्हें । "
                                                                                     एलन


इस तरह के तेरह खत थे जो रिप्ले बीन के भूत ने मुझे दिये थे ।  दिक्कत यह थी कि इन खतों का दूसरा पक्ष खतों के इस बंडल मे नहीं था ।  बाद मे मिलने पर मैंने कई बार इसरार भी किया कि वह मुझे एलन की प्रेमिका के खत भी उपलब्ध कराये पर हर बार वह टाल जाती ।  उसका कहना था कि प्रेमिका के खत एलन के पास थे और पकडे जाने के बाद जब देहरादून के कोतवाल और उसकी टीम उसे देहरादून से मसूरी वापस ला रही थी तब रास्ते में एक जगह एलन ने उनसे पानी पीने की इजाजत मांगी और जिस झरने में वह पानी पीने के लिये झुका वहीं धीरे से सबकी आँखें बचाकर खत उसने बहा दिये थे।
भूत की इस दलील से मैं कभी आश्वस्त नहीं हुआ।  भूत के लिये क्या मुश्किल है ? वह चाहता तो एलन की प्रेमिका के खत भी मेरे लिये उपलब्ध करा ही सकता था ।  पृथ्वी , आकाश, पाताल- हर जगह तो उसकी रसाई है ।  अगर पानी में बहे उसके खतों के अक्षर मिट भी गये हों तो क्या वह उन्हें पुन: नहीं लिख सकता या अगर कागज लुगदी बन कर नदी के पेटे में या उसके किनारे उगे किसी बनस्पति में समा भी गयें हों तब भी तो एक भूत के लिये हमेशा यह संभव है कि वह मिट्टी का अंग बन चुके उन अवशेषों को वापस उसी तरह के रूलदार हस्तनिर्मित कागजों में तबदील कर दे जिन पर एलन की प्रेमिका नें उसे पत्र लिखे थे और जिनके ऊपर लिखे एलन के तेरह खत मुझे भूत ने उपलब्ध कराये थे ।  सत्तर-अस्सी साल बाद चौकोर मुडे इन कागजों को खोलने और पढकर वापस तह करने पर यह डर तो जरूर लगता था कि वे किसी सूखे पत्ते की तरह टूट जाएेंगे लेकिन उनकी चमक पूरी तरह से फीकी नहीं पडी थी और निब की काली स्याही में डूबोकर लिखे लगभग बेडौल और खुरदुरे उनके अक्षर , अभी भी धुँधलाये नहीं थे ।
भूत से असंतुष्ट होकर आप कर भी क्या सकतें हैं ?
अगर वह कुछ नहीं देना चाहेगा तो फिर नहीं देगा ।  मन मार कर मैंने मान लिया कि भूत मुझे एलन की प्रेमिका के खत उपलब्ध नहीं करायेगा ।
मैंने एलन के पत्रों से उस मजमून को भाँपने की कोशिश की जो प्रेमिका ने किसी खत को मिलने से पहले या बाद में लिखा होगा ।  काफी हद तक गालिब वाला मामला था ।  फर्क सिर्फ इतना था कि गालिब लिफाफा देखकर खत का मजमून भाँपने की कोशिश करते थे पर यहाँ भूत मेरी मदद करने के लिये मौजूद था ।  उसने प्रेमिका के खत मुझे भले न दिये हों पर एलन के खतों को पढकर दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया समझने या खत लिखने के पीछे की पृष्ठभूमि समझने में भरपूर मदद की ।

छुटकू
तूने ठीक पहचाना।  फर्क सिर्फ इतना है कि मैंने उस रात हार्स चेस्ट नट के पेड के नीचे तुझे छुटकू नहीं छुटकी कहा था ।  तेरे लिये कई संबोधन मैंने होठों से दुहराये और अलग अलग अंदाज से दुहराता चला गया।  यही संबोधन सबसे अच्छा लगा ।  थोडी देरे बाद मैंने पाया की छुटकी की जगह मेरे मुँह से छुटकू निकल रहा है ।  शायद बचपन की कोई स्मृति हो ।  बहरहाल आज से मैं तुझे सिर्फ छुटकू कहूँगा ।  आज रात जब तू हार्स चेस्ट नट के नीचे खडी होकर मुझे ढूंढ रही होगी तब अपने कान खुले रखना----।  कहीं से हौले हौले कोई पुकारेगा-----छुटकू-----छुटकू ।
                                              तेरा-
                                                                             एलन


लिखे गये पत्रों को तारीखवार क्रम से रखने पर यह पहला पत्र था जिस पर सम्बोधन पडा था ।  इसके पहले वाले तीनों पत्रों पर संबोधन नहीं थे ।  ध्यान से देखने पर ही पता चलता था कि किसी ने उनके ऊपर का सम्बोधन खुरच डाला था ।  जाहिर है कि पत्र पाने वाले ने ही ऐसा किया था ।  पर क्यों किया होगा ऐसा ? क्यों नहीं चाहती थी वह कि उसका नाम किसी को पता चले ।  बहुत पूछने पर भी भूत नहीं बता सका ।
इस भूत ने मुझे कुछ हद तक निराश किया था ।  मेरा यह विश्वास टूट रहा था कि भूत सब कुछ जानतें हैं और अगर मैं यह मान लूँ कि यह भूत भी सब कुछ जानता था तो यह विश्वास टूट जाता कि भूत इतने भले होतें हैं कि एक बार दोस्ती हो जाने पर कुछ नहीं छिपाते ।
बहरहाल कुछ किया नहीं जा सकता था ।  भूत जो कुछ कर रहा था वह भी कम नहीं था ।  कम से कम वह पत्रों के माध्यम से एक अदभुत प्रेम कथा से मेरा परिचय करा रहा था ।
शुरूआती चारों खतों से एक सीधा सादा लेकिन पहाडी नदियों जैसा उद्दाम प्रेम प्रसंग सामने खुल रहा था पर अचानक ऐसा लगा कि सामने कोई बडा शिला खण्ड आ गया हो और कल कल करता जल उस पर पछाड खा कर गिरने लगा हो ।
चौथे और पाँचवें खतों के बीच के कुछ पत्र गायब थे ।  अगला खत जो दो महीने बाद की तारीख का लिखा हुआ था, इस बात की गवाही दे रहा था कि इन साठ दिनों में बहुत कुछ ऐसा घटा है जिसने दो प्रेमियों के बीच कुछ खिंचाव पैदा कर दिया था ।

छुटकू
हम जिन्हें बरसों से जानतें हैं उन्हें कितना जानतें हैं ? साथ साथ उठते, बैठते, सोतें हैं पर कितना जान पातें हैं अपने साथी को ।  कई बार अचानक ऐसा नहीं लगता है क्या कि हमारे बगल में कोई नितांत अपरिचित शरीर लेटा हुआ है ? गौर से देखने पर उसे पहचान पाना कितना मुश्किल लगता है ।  तेरा सोचना सही है कि सिर्फ चार पाँच महीने ही तो हुयें हैं हमें मिलते ।  इतने में तू मुझे कितना जान पायी होगी ? या जो कुछ जान पायी है उसमें जानने जैसा कितना सच है ?
 छुटकू मेरी जान , मुझे सिर्फ यह कहना है जितना कुछ हम एक दूसरे के बारे में जान पायें हैं वही काफी है ।  एक साथ गुजारा लम्बा समय इस बात की गारंटी नहीं होता कि दो प्राणी एक दूसरे को अच्छी तरह से जानने लगें हों ।
और एक पल का साथ भी हमें कितना परिचित कर देता है । इसलिये अब इस, उहापोह से निकल और उस तरह के खत मत लिख जो तूने पिछले दिनों लिखें हैं और अच्छे बच्चे की तरह आज हार्स चेस्ट नट के नीचे आ जा- मेरी बाहों में समाने के लिये ।
आज मैं तुझे एक अदभुत पहाडी गीत सुनाऊंगा जो मुझे मेरी पलटन के पहाडी साइस ने सुनाया है ।  मुझे लगता है यह गीत तेरे लिये लिखा गया है ।  तू जानती है मेरी पहाडी कितनी खराब है ।  तुझे मेरे लिये इसका अंग्रेजी अनुवाद करना होगा ।
                                                                                      
                                       एलन

  
डियरेस्ट वन,

आज मुंह अँधेरे उठ गया ।  बैरक की खिडकियाँ खुलीं थीं और बाहर की नीम ठंडी हवा दबे पाँव अंदर प्रवेश कर रहीं थीं।  लेटे लेटे मैंने बादलों से अठखेलियाँ करते चाँद और तारों की स्थिति देखी।  पी। टी।  के लिये उठने से पहले एक नींद ली जा सकती थी ।  मैंने सोने की कोशिश की।  आधा सोते आधा जगने की स्थिति में कई तरह के खौफ मेरे ऊपर तारी हो गये ।
मुझे लगा अचानक एक दिन तू मुझसे मिलना बंद कर देगी ।  जाहिर है कि दुनियां उसी दिन खत्म नहीं हो जाएेगी लेकिन निश्चित है कि दुनियां पहले जैसी भी नहीं रह पायेगी ।
मैं डरा कि एक दिन तू शरारतन यह कहना छोड देगी कि तू मुझे प्यार नहीं करती ।  शायद उस दिन तू सचमुच मुझे प्यार करना बंद कर देगी ।
 पता नहीं ऐसा क्या हुआ होगा कि एक दिन तेरी आवाज सुनायी देगी और नहीं भी सुनायी देगी।  जब सुनायी देगी तब मेरे अन्दर कुछ नहीं घटेगा।
 उसी तरह के बहुत सारे डर जो पहली बार तुझसे मिलने जाते समय मुझे महसूस हुये थे ।  उस समय मैं डर रहा था कि तुझसे मिलते ही मैं बांहें फैलाये तुझे उनमें समाने का अनुरोध करूँगा और तू दूर खडी मुझे बरजेगी ।  तेरी तरेरती आँखों की अवज्ञा करता हुआ मैं तुझे अपनी बाहों में भर लूँगा ।  तू मेरे सीने पर मुक्के बरसायेगी और मैं तुझे चूम लूँगा ।  मैं कुछ ऐसा करूँगा जो तुझे नाराज करेगा लेकिन जब बाद में हम हार्स चेस्ट नट के नीचे धरती पर फैली हरी घास पर बैठेंगे और बतियायेंगे और हंसेंगे तब तू धीरे से बिना कहे कह देगी कि तुझे सब कुछ बहुत अच्छा लगा ।
इसी तरह के बहुत सारे डर।  शायद ये डर इसलिये सता रहे थे कि छुट्टी पर जाने का वक्त करीब आता जा रहा है ।  एक बार लैण्डोर छोडने के बाद कम से कम तीन महीने तुझे नहीं देख पाऊँगा ।  पर यह आखिरी छुट्टी होगी जो मैं अकेले काटूँगा । "
                           प्यार,प्यार और सिर्फ प्यार,
                                                                     एलन

सी,
कल मैंने तुझे बहुत दुखी किया? सारी----सारी ----सारी---- मुझे पता है कि तू कहेगी कि सारी से कुछ नहीं होता ।  मैं भी यही मानता हूँ कि सिर्फ सारी कहने से काम नहीं चलेगा ।  मैं कल जैसे ही कैम्प से खिसकने चला , रोलकाल का बिगुल बजने लगा  ।  किसी ने कमाण्डेंट से शिकायत कर दी थी --मेरी नहीं , दूसरे दो तीन कमबख्त हैं जो पता नहीं कहाँ कहाँ गायब हो जातें हैं रात भर , उनकी शिकायत थी ।  इस रोल्काल के बाद इतनी देर हो गयी थी कि तेरे पास तक आना मुमकिन नहीं रह गया था ।  मुँह मत फुला।  माफ कर दे ।
                                                                                                  एम।


इस खत के सम्बोधन सी को समझने में थोडी दिक्कत जरूर हुयी पर यह समझ में आ ही गया कि सी छुटकू के लिये प्रयोग हो रहा है ।  अगले सारे खतों में सम्बोधन के लिये सी का इस्तेमाल हुआ ।  पर एलन एम कब बन गया?

सी ।
आय लव यू------आय लव यू----आय लव यू---आय लव यू------

एम।

लगता है किसी शर्त के तहत लडकी ने चिढाने के लिये एलन से कहा होगा कि क्या वह लिख कर दे सकता है कि वह उससे प्यार करता है और इसपर एलन ने यह खत भेजा था जिसमें पूरे कागज पर सिर्फ यही लिखा था - आय लव यू !
 
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