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विश्वविद्यालय की पत्रिकाएँ
लेखक दीर्घा
उपन्यास
हिंदुस्तानी की परंपरा
Swami Sahajanand Saraswati स्वामी सहजानन्द सरस्वती रचनावली
सम्पादक - राघव शरण शर्मा
खंड-3
अनुक्रम
मुख्य सूची
खंड - 1
खंड - 2
खंड - 4
खंड - 5
खंड - 6
गीता-हृदय गीता-सप्तश्लोकी प्रारम्भिक शब्द पहला : अन्तरंग भाग
गीता-हृदय
गीता-सप्तश्लोकी प्रारम्भिक शब्द
पहला : अन्तरंग भाग
1. गीता के मुख्य मन्तव्य
कर्तव्यके प्रश्न अध्यात्मवाद और भौतिकवाद गीता का समन्वय श्रध्दा, दिल और दिमाग़ कर्म के भेद यज्ञार्थ कर्म ईश्वरार्पण और मदर्थ कर्म कर्तव्य कर्म स्वभाव के प्रभाव महात्मा और दुरात्मा संन्यास और लोक-संग्रह आरुरुक्ष और आरूढ़ पूजा के भेद गीता का योग संन्यास और त्याग आत्मा का स्वरूप सांख्य और योग में अन्तर व्यवसायात्मक बुद्धि
2. गीता धर्म और मार्क्सवाद
1.गीता धर्म कर्म का पचड़ा श्रध्दा का स्थान धर्म व्यक्तिगत वस्तु है धर्म स्वभावसिध्द है स्वाभाविक क्या है ? 2. मार्क्सवाद और धर्म द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद और धर्म भौतिक द्वन्द्ववाद धर्म, सरकार और पार्टी दृष्ट और अदृष्ट अर्जुन की मानवीय कमजोरियाँ स्वधर्म और स्वकर्म योग और मार्क्सवाद 3. गीता की शेष बातें गीता में ईश्वर ईश्वर हृदयग्राह्य हृदय की शक्ति आस्तिक-नास्तिक का भेद दैव तथा आसुर सम्पत्ति समाज का कल्याण कर्म और धर्म गीता का साम्यवाद नकाब और नकाबपोश रस का त्याग मस्ती और नशा ज्ञानी और पागल पुराने समाज की झाँकी तब और अब यज्ञचक्र अध्यात्म, अधिभूत, अधिदैव, अधियज्ञ अन्य मतवाद अपना पक्ष 4. कर्मवाद और अवतारवाद ईश्वरवाद कर्मवाद कर्मों के भेद और उनके काम अवतारवाद 5. गुणवाद और अद्वैतवाद परमाणुवाद और आरंभवाद गुणवाद और विकासवाद
1.गीता धर्म
कर्म का पचड़ा श्रध्दा का स्थान धर्म व्यक्तिगत वस्तु है धर्म स्वभावसिध्द है स्वाभाविक क्या है ?
2. मार्क्सवाद और धर्म
द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद और धर्म भौतिक द्वन्द्ववाद धर्म, सरकार और पार्टी दृष्ट और अदृष्ट अर्जुन की मानवीय कमजोरियाँ स्वधर्म और स्वकर्म योग और मार्क्सवाद
3. गीता की शेष बातें
गीता में ईश्वर ईश्वर हृदयग्राह्य हृदय की शक्ति आस्तिक-नास्तिक का भेद दैव तथा आसुर सम्पत्ति समाज का कल्याण कर्म और धर्म गीता का साम्यवाद नकाब और नकाबपोश रस का त्याग मस्ती और नशा ज्ञानी और पागल पुराने समाज की झाँकी तब और अब यज्ञचक्र अध्यात्म, अधिभूत, अधिदैव, अधियज्ञ अन्य मतवाद अपना पक्ष
4. कर्मवाद और अवतारवाद
ईश्वरवाद कर्मवाद कर्मों के भेद और उनके काम अवतारवाद
5. गुणवाद और अद्वैतवाद
परमाणुवाद और आरंभवाद गुणवाद और विकासवाद
गुण और प्रधान तीनों गुणों की जरूरत सृष्टि और प्रलय सृष्टि का क्रम अद्वैतवाद स्वप्न और मिथ्यात्ववाद अनिर्वचनीयतावाद प्रातिभासिक सत्ता मायावाद अनादिता का सिध्दान्त निर्विकार में विकार गीता, न्याय और परमाणुवाद वेदान्त, सांख्य और गीता गीता में मायावाद ब्रह्मज्ञान और लोकसंग्रह असीम प्रेम का मार्ग प्रेम और अद्वैतवाद ज्ञान और अनन्य भक्ति सर्वत्र हमीं हम और लोकसंग्रह
6. 'अपर्याप्तं तदस्माकम्'
7. 'जायते वर्णसंकर:'
8. 'ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव'
9. 'सर्व धर्मान्परित्यज्य'
10. शेष बातें
उत्तरायण और दक्षिणायन गीता की अध्याय-संगति योग और योगशास्त्र सिद्धि और संसिद्धि गीता में पुनरुक्ति गीता की शैली पौराणिक गीतोपदेश ऐतिहासिक गीता धर्म का निष्कर्ष
दूसरा : गीता भाग
पूर्वापर सम्बन्ध प्रवेशिका पहला अध्याय दूसरा अध्याय - I दूसरा अध्याय - II तीसरा अध्याय चौथा अध्याय पाँचवाँ अध्याय छठा अध्याय सातवाँ अध्याय आठवाँ अध्याय नौवाँ अध्याय दसवाँ अध्याय ग्यारहवाँ अध्याय बारहवाँ अध्याय तेरहवाँ अध्याय चौदहवाँ अध्याय पन्द्रहवाँ अध्याय सोलहवाँ अध्याय सत्रहवाँ अध्याय अठारहवाँ अध्याय -I अठारहवाँ अध्याय -II
परिशिष्ट-I
ईश्वर की सत्ता मानव सेवा ही असली वेदान्त श्रीमद्भावगत में श्रीकृष्ण-चरित्र शक्ति का सच्चा स्वरूप और उसका विकास गीता का योग
परिशिष्ट-II
पूर्वमीमांसा दर्शन
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